India Made Road From Plastic Waste : भारत में अब रोड और हाईवे बनाने के लिए प्लास्टिक वेस्ट का काफी तेज से यूज किया जा रहा है, दो हज़ार चौबीस के डाटा के मुताबिक भारत ने अभी तक लगभग एक लाख किलोमीटर से भी ज्यादा के प्लास्टिक रोड्स बना लिए हैं, भारत की इस टेक्निक के बारे में सुनकर कई देशों के प्रमुखो ने भारत से इस टेक्निक की मांग कर दी है, जिसमे अमेरिका और यूरोप के कई देश शामिल है,
दोस्तों डामर की तुलना में प्लास्टिक कोटेड सड़क बीस फीसदी सस्ती पडती है, एक किलोमीटर डामर सडक बनाने पर तकरीबन पचास लाख रुपए का खर्च आता है, वहीं एक किलोमीटर प्लास्टिक कोटेड सड़क बनाने में तकरीबन चालीस लाख रुपए की लागत आएगी, यानी प्रति किमी पर लगभग दस लाख रुपए तक की बचत होगी, भारत में सबसे पहले प्लास्टिक मिश्रित सड़क निर्माण का पहला प्रयोग तमिलनाडु में हुआ था,
इसके बाद देश के कई राज्यों में इसका काम शुरू हो चुका है, तमिलनाडु में इस तकनीक का इस्तेमाल करीब एक दशक पूर्व बेकार प्लास्टिक से किया गया था, जिसमे डेढ़ किमी सड़क बनाई थी, इसका रिजल्ट अच्छा रहने के बाद प्लास्टिक मिश्रित सड़कों के निर्माण को सडक और परिवहन मंत्रालय ने भी हरी झंडी दे दी है, दोस्तों अभी तक डामर और सीमेंट-कंक्रीट की सड़कों का प्रचलन ज्यादा है, सीमेंट-कंक्रीट सडके जल्दी ही फट जाती है, जबकि डामर ज्यादा गर्मी होने पर पिघलने लगता है, और बारिश में उखड जाता है, तो अब भारत ने इस समस्या से निजात के लिए अब प्लास्टिक कोडेट सडकें बनाने की योजना तैयार कर ली है,
इसके अलावा प्लास्टिक वेस्ट से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचा जा सकेगा, साथ ही प्लास्टिक वेस्ट के उपयोग से सडक निर्माण की लागत भी कम होगी, तथा प्लास्टिक की विकृति के प्रति उच्च प्रतिरोध क्षमता, पानी के कारण खराब होने वाली सडकों को रोकने में सक्षम, और पर्यावरण को नुकसान से बचाव भी होगा,
सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जुलाई दो हजार सोलह में सडक निर्माण में ठोस और प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल करने की घोषणा की थी, जिसके बाद भारत के वैज्ञानिको ने अथक प्रयास से इस योजना को अमलीजामा पहनाया हैं, जिसके लिए वो बधाई के भी पात्र है,
राज्यसभा में केंद्रीय सडक मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि भारत में 1 लाख किलोमीटर के नेशनल हाईवे को प्लास्टिक वेस्ट से बनाया जाएगा, और उन्होंने ये लक्ष्य दो हजार पच्चिस तक के लिए रखा था, जिसे भारत के वैज्ञानिको और इंजीनियरों ने दो हजार चौबीस में ही पूरा कर लिया,
आज भारत के बहुत से हाईवे प्लास्टिक वेस्ट से ही बनाए गए हैं, जिस पर आप चल भी रहे होंगे और शायद आपको इस बात की जानकारी भी नहीं होगी कि यह सडक प्लास्टिक वेस्ट से बनाई गई है, अब भारत की इस टेक्नोलॉजी को अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने मांगना शुरू कर दिया है,क्योंकि उन देशों में प्लास्टिक रीसायकल करना एक बहुत बड़ी चुनौती है, और इन प्लास्टिक वेस्ट का सडकों के निर्माण में इस्तेमाल होने के कारण प्लास्टिक का रीसायकल आसानी से किया जा सकेगा,
इस टेक्नोलॉजी को बेचकर भारत बहुत ही मोटी कमाई भी कर सकता है जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी काफी अधिक फायदा पहुंचेगा,
भारत की इस टेक्नोलॉजी को देखकर हमारे पडोसी देश ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है जिसमें चीन ने इसे लेकर बोला है कि यह सडके लंबे समय तक चलने के काबिल नहीं है,वहीं पाकिस्तान भी इसे फ्लॉप बता रहा है, लेकिन दोस्तों आपको पता है कि यह लोग ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं, क्योंकि भारत की आर्थिक तरक्की इन दोनों देशों को देखी नहीं जाती है,
वैसे जलने वाले हो तो तरक्की करने में और भी अधिक आनंद आता है, तो दोस्तों आपका इस टेक्नोलॉजी को लेकर क्या ख्याल है अपनी राय कमेंट में जरूर बताना, और वीडियो पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों तक भी शेयर कर देना, जय हिंद